पत्रकार हो तुम !!!
निष्पक्ष कलम की ताकत हो,जनता से सरोकार हो तुम,
कल्पभाग्य तुम्हारे हाथों में,
हर मरहम का आकर हो तुम,
आवाज़ दो शब्दों को ऐसे,
उठकर जो सिंघनाद करें,
सरकारों की शामत आए,
जो जनतंत्रों पर घात करें,
क्या बाजारू बिकवाली हो ?
जो यूँ ऐसे लाचार हो तुम,
तलवारों का दम क्या दम है,
असीम शक्ति का आधार हो तुम||
पत्रकार हो तुम !!पत्रकार हो तुम !!
पत्रकार हो तुम !!
-सुशान्त 'सरल'
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