यूँ ज़ज्बातों के दरमियाँ ,
सफर सुहाना हो गया
गैरों बेगैरों की कसम ,
गैरों बेगैरों की कसम ,
गज़ब फ़साना हो गया
उम्र भर छुपा तूफानों से ,
ज़मीर बहाना हो गया
खुशियों की धुप में जब ,
गम मयखाना हो गया
उसूलों में जिए जो ऐसे,
पराया ज़माना हो गया
कभी था मुस्कुराता दिल भी ,
ये दिल वीराना हो गया
ठुकराया जो जहां ने हमें ,
तन्हाई से याराना हो गया
नए में गुमराह खूब हुए ,
नया भी पुराना हो गया
अपना माना था कभी उसे ,
एक पल में बेगाना हो गया
नज़र बदली तो जहां बदला ,
कारवां शामियाना हो गया
शुक्र खुदाई का करा ऐसे ,
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